Wednesday, December 26, 2012

जाउ दे...


~*_जाउ दे_*~


संपला विश्वास आता जाउ दे,
फक्त उरले श्वास आता जाउ दे...

शिंपल्यांतून मोतीयांचा हा सडा,
काय ही आरास आता जाउ दे...

संग जितका दु:ख तितके वाढते,
जायचे हमखास आता जाउ दे...

इतर ही येतील काळिज घेऊनी,
मी न कोणी खास आता जाउ दे...

वाट माझी अडविती अश्रू तुझे,
फक्त थोडे हास आता जाउ दे...

झिंगण्याचे सोग मी आणू कसे?
विनवितो मद्द्यास "आता जाउ दे..."

हे मिळाले, ते हवे, तेही हवे,
हा कसा हव्यास आता जाउ दे...

ओढ ही वाढे दुरावा ठेऊनी,
मज नको सहवास आता जाउ दे...

नाव माझे घेतले "आनंद" तू,
सोसला पण त्रास आता जाउ दे...


                     ...आनंद रघुनाथ

Saturday, December 22, 2012

जीकर जाएंगे___

-एक हिन्दी गज़ल-

सोचके आए थे कुछ कर जाएंगे,
क्या पता था जीतसे डर जाएंगे___

रोते क्यों हो एक अशर्फी के लिए?
कुछ नहीं जो साथ लेकर जाएंगे___

चोचले खानेके अपने है नहीं,
हम तो वरना भूखसे मर जाएंगे___

आज उसने नैन खोले ही नहीं,
हमने तो सोचा था पीकर जाएंगे___

हाँ! मुहब्बत हमने की, ये सोचके,
आए दुनियामे तो जीकर जाएंगे___

आसुओंको पोछने आएंगे वो,
उनमे अपने पाप धोकर जाएंगे___

जख्म होजाए मगर ना दर्द हो,
इस कदर वो हमको छूकर जाएंगे___

बेवफाको कैसे हम दे बद्दुआ!
चूमके वो होठ सीकर जाएंगे___

दर्द क्यों सबको दिया  'आनंद'ने ?
जो है पाया वोही देकर जाएंगे___


                                  ...आनंद रघुनाथ